जीवित्पुत्रिका व्रत कथा – Jitiya Vrat Katha

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा - Jitiya Vrat Katha

जितिया व्रत जीवित्पुत्रिका व्रत का ही एक अन्य नाम है। स्त्रियां पुत्र और पति की दीर्घायु कामना से जितिया का कठिन व्रत किया करती हैं। यह व्रत इतना कठिन होता है कि सामान्य व्रतों की तुलना में अधिक काल तक उपवास करना पड़ता है और उसमें भी बड़ी बात है कि जल आदि का ग्रहण करना भी निषिद्ध होता है। यदि कोई गंभीर परिस्थिति हो जाये तो उस समय गोमुखी होकर दूध पिया जा सकता है। प्रदोष काल में राजा जीमूतवाहन की पूजा करने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत कथा श्रवण करनी चाहिये। इस आलेख में जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा संस्कृत में दी गयी है।

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