महालक्ष्मी व्रत कथा – Mahalaxmi Vrat Katha

महालक्ष्मी व्रत कथा

भाद्र शुक्ल अष्टमी से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी तक 16 दिन महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि संपूर्ण कर्मकांड विधि पर प्रकाशित है। पूजा करने के बाद प्रतिदिन कथा भी श्रवण करनी चाहिये। कथा श्रवण के विषय में जो महत्वपूर्ण तथ्य है वो यह है कि हिन्दी आदि अन्य स्थानीय भाषाओं में भाव समझने के लिये तो सुना जा सकता है किन्तु फलदायकता हेतु संस्कृत में ही श्रवण करनी चाहिये। यहाँ भविष्योत्तरोक्त कथा संस्कृत में दी गयी है।

॥ इति श्रीभविष्योत्तरे कृष्णयुधिष्ठिरसंवादे महालक्ष्मीव्रतकथा समाप्ता ॥

F & Q :

प्रश्न : महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त कब है?
उत्तर : 2024 में महालक्ष्मी व्रत 11 सितम्बर बुधवार से आरंभ होकर 24 सितम्बर मंगलवार तक है एवं पारण 25 अगस्त 2024 बुधवार को। व्रत निर्णय संबंधी चर्चा महालक्ष्मी व्रत कथा वाले आलेख में की जायेगी।

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है, Mahalaxmi Vrat Katha
घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है

प्रश्न : महालक्ष्मी व्रत कैसे शुरू करें?
उत्तर : महालक्ष्मी व्रत सोलह दिनों तक किया जाता है जो भाद्रशुक्ल अष्टमी को प्रारम्भ होता है। भाद्रशुक्ल अष्टमी को सायाह्न काल में संकल्प करके सोलह बार हाथ-मुंह और पैर धोये। फिर सोलह तंतु वाले डोर में सोलह गांठ लगाकर मालती पुष्प, सोलह दूर्वा आदि चढ़ाकर धारण करे, हाथी पर बैठी महालक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करके व्रत आरंभ करे।

कथा पुराण में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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