katha

कार्तिक माहात्म्य - चर्तुथोध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 4

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 4

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 4 : देवताओं का दुःख सुनकर भगवान विष्णु ने उन्हें शंखचूड़ वध करने का आश्वासन/वर दिया और मत्स्यावतार ग्रहण करके कश्यप ऋषि के अंजलि वाले जल में प्रकट हुये और बढ़ने लगे, महर्षि कश्यप ने उन्हें क्रमशः कमंडल,कूप, तालाब, समुद्र में रखा। फिर भगवान ने शंखचूड़ का वध करके वेद लिया।

Read More
कार्तिक माहात्म्य - तृतीयोध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 3

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 3 : Kartik Mahatmya

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 3 : Kartik Mahatmya – कार्तिक मास में व्रत करने वालों को सब प्रकार से धन, पुत्र-पुत्री आदि देते रहना और उनकी सभी आपत्तियों से रक्षा करना। हे धनपति कुबेर! मेरी आज्ञा के अनुसार तुम उनके धन-धान्य की वृद्धि करना क्योंकि इस प्रकार का आचरण करने वाला मनुष्य मेरा रूप धारण कर के जीवनमुक्त हो जाता है।

Read More
कार्तिक माहात्म्य - द्वितीयोध्यायः ; कार्तिक माहात्म्य अध्याय २

कार्तिक माहात्म्य द्वितीयोध्यायः – Kartik Mahatmya Adhyay 2

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 2 – Kartik Mahatmya Adhyay 2 : सत्यभामा पति की मृत्यु हो गयी तो शोकाकुल होने पर भी उसने धैर्य धारण किया और पति की अंतिम क्रिया करने के उपरांत आजीवन दो विशेष व्रतों का पालन करती रही एक एकादशी और दूसरी कार्तिक। दूसरे अध्याय की कथा में यह स्पष्ट हो जाता है कि कार्तिक मास भी एक व्रत ही है।

Read More
कार्तिक माहात्म्य - प्रथमोध्यायः - कार्तिक माहात्म्य अध्याय 1

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 1 – Kartik mahatmya

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 1 – Kartik mahatmya : एकदास्वर्गलोकाद्वैनारदोद्वारिकांगतः ॥ दिदृक्षयाभगवतोदेवदेवस्य वेधसः ॥१॥
दृष्ट्वाकृष्णंततः पूजांकृत्वाभक्तिसमन्वितः॥ पारिजातस्यपुष्पैकं ददौभगवतेतदा ॥२॥
कृष्णोर्पितद्गृहीत्वातु रुक्मिण्यैदत्तवांस्तदा ॥ एतस्मिन्नंतरेचैव नारदोमुनिसत्तमः ॥३॥

Read More