स्त्री, शूद्र और कलयुग श्रेष्ठ क्यों है – Stri, Shudra & Kalyug kyu shreshth hai
स्त्री, शूद्र और कलयुग श्रेष्ठ क्यों – Stri, Shudra & Kalyug kyu shreshth hai : आत्मकल्याण करने के लिये ही सभी को मानव शरीर की प्राप्ति होती है जिसमें द्विजाति को बड़े ही क्लेश होते हैं। किन्तु स्त्री और शूद्रों को आत्मकल्याण के लिये अधिक श्रम/क्लेश करने की आवश्यकता नहीं होती है, स्त्री पति की सेवा मात्र से और शूद्र द्विजों की सेवा मात्र से आत्मकल्याण के अधिकारी हो जाते हैं एवं इसी कारण धन्य कहे गये हैं। इसके साथ ही सतयुग, त्रेता, द्वापर इन तीनों युगों की तुलना में कलयुग में बहुत ही अल्प प्रयास मात्र नाम संकीर्तन से ही आत्मकल्याण हो जाता है इसलिये अन्य सभी युगों की तुलना में कलयुग श्रेष्ठ होता है।