
कार्तिक माहात्म्य अध्याय 28 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में
कार्तिक माहात्म्य अध्याय 28 – प्राचीनकाल में भगवान शिव तथा माता पार्वती विहार कर रहे थे। उस समय उनके विहार में विघ्न उपस्थित करने के उद्देश्य से अग्निदेव ब्राह्मण का रूप धारण करके वहाँ पहुँचे। विहार के आनन्द में विघ्न उपस्थित हो जाने के कारण कुपित होकर माता पार्वती ने सभी देवताओं को शाप दे दिया।