
कार्तिक माहात्म्य अध्याय 6
कार्तिक माहात्म्य अध्याय 6 : कार्तिक, माघ आदि मासों में प्रातः स्नान मुख्य कर्म होता है, कार्तिक माहात्म्य के छठे अध्याय में मुख्य रूप से स्नान की विधि बताई गयी है। घर, जलाशय आदि में स्नान करने संबंधी फलों का उल्लेख संगम/तीर्थों में स्नान के फल को अनंत बताया गया है। स्नानोपरांत तर्पण करने का निर्देश भी दिया गया है जो महत्वपूर्ण है। भगवान विष्णु की पूजा तो करे ही साथ ही ब्राह्मण की पूजा भी करे ऐसा भी बताया गया है।