
कार्तिक माहात्म्य अध्याय 10 मूल संस्कृत में, हिन्दी अर्थ सहित
कार्तिक माहात्म्य अध्याय 10 – वृंदा से विवाहित जलंधर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था, एक बार संयोग से उसे राहु का कटा सिर दिखा जिसके बारे में उसने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से प्रश्न किया तो शुक्राचार्य ने समुद्रमंथन से अमृत-रत्नादि निकलने से लेकर अमृतपान करने वाले राहु का भगवान विष्णु द्वारा सिर कटने की पूरी कथा बताई, जिसे सुनकर जलंधर अत्यंत क्रुद्ध हुआ और दैत्यों की सेना जुटाकर देवताओं से युद्ध करने लगा।