पौषकृष्ण सफला एकादशी कथा - Safala ekadashi

सफला एकादशी व्रत कथा – Safala ekadashi vrat katha

सफला एकादशी व्रत कथा – Safala ekadashi vrat katha : पौष कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘सफला एकादशी’ है। इस दिन नारायण का पूजन करनी चाहिए और अच्छे ऋतु-फलों से भगवान का पूजन करना चाहिए; स्वच्छ नारियल, बिजौरे, जम्बीरी, अनार, सुपारी आदि से विधिपूर्वक पूजन करें। व्रत वाले दिन दीपदान करने और जागरण करने का भी विशेष महत्व है।

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कार्तिक माहात्म्य - एकोनत्रिंशोऽध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 29

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 29 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 29 – क्या आप जानते हैं कि पीपल के पेड़ की पूजा केवल शनिवार को क्यों होती है? ऋषियों के सवाल पर सूतजी ने एक रोचक कथा सुनाई। सूतजी ऋषियों को बताते हैं कि पीपल की पूजा का मूल कारण अलक्ष्मी और लक्ष्मी के बीच का संबंध है। लक्ष्मी जी और उनकी कुरूप बहन अलक्ष्मी के इस विवाह संबंधी जटिलता में दो बातें छिपी हैं: पारिवारिक सम्मान और अलक्ष्मी की रहन-सहन की इच्छा।

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देवोत्थान एकादशी व्रत कथा - Devotthana ekadashi vrat katha

देवोत्थान एकादशी व्रत कथा – Devotthana ekadashi vrat katha

देवोत्थान एकादशी व्रत कथा – Devotthana ekadashi vrat katha : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम देवोत्थान एकादशी है, प्रबोधिनी एकादशी भी एक अन्य नाम है। इस एकादशी को भगवान विष्णु का जागरण होता है। ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को इसकी कथा सुनाई है जिसका वर्णन स्कंदपुराण में है। इस कथा में एकादशी का माहात्म्य, तुलसी माहात्म्य, कार्तिक माह और चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा माहात्म्य आदि भी बताया गया है।

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सिद्धिविनायक व्रत कथा - Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा – Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा में भरद्वाज मुनि सूत से पूछते हैं कि विघ्नों का निवारण कैसे होगा। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उत्तर में सिद्धिविनायक की पूजा व्रत करने को कहा गया, जिससे नष्टराज्य की पुनर्प्राप्ति हो सकती है। सिद्धिविनायक की पूजा से सभी कार्यों की सफलता होती है और चाहे विद्या हो या धन, विजय या सौभाग्य, सब इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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कार्तिक माहात्म्य - प्रथमोध्यायः - कार्तिक माहात्म्य अध्याय 1

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 1 – Kartik mahatmya

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 1 – Kartik mahatmya : एकदास्वर्गलोकाद्वैनारदोद्वारिकांगतः ॥ दिदृक्षयाभगवतोदेवदेवस्य वेधसः ॥१॥
दृष्ट्वाकृष्णंततः पूजांकृत्वाभक्तिसमन्वितः॥ पारिजातस्यपुष्पैकं ददौभगवतेतदा ॥२॥
कृष्णोर्पितद्गृहीत्वातु रुक्मिण्यैदत्तवांस्तदा ॥ एतस्मिन्नंतरेचैव नारदोमुनिसत्तमः ॥३॥

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फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी व्रत कथा - Amalaki ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha : मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा राजा वैखानस से संबंधित है जिसमें राजा वैखानस अपने पिता के नरक में कष्ट भोगते देख कर मोक्ष के उपाय ढूंढते हैं। उन्हें मुनि का आशीर्वाद मिलता है, जो मोक्षदा एकादशी करने का सुझाव देते हैं। राजा वैखानस ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया और भगवान विष्णु की उपासना की, जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को स्वर्ग में स्थान प्राप्त करते देखा।

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हरितालिका (तीज) कथा

हरितालिका (तीज) कथा

हरितालिका (तीज) कथा : पूजा का काल प्रदोषकाल ही होता है अतः प्रदोषकाल में ही पूजा करे। पवित्रीकरणादि करके सर्वप्रथम संकल्प करे। यदि चौदह वर्षों तक ही करना हो तो प्रथम वर्ष चौदह वर्ष करने का संकल्प करे, अन्य वर्षों में संकल्प करे। यदि 14 वर्ष से अधिक भी करना हो तो 14 वर्षों वाला संकल्प प्रथम वर्ष न करे।

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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा - Padmini ekadashi vrat katha

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा – Padmini ekadashi vrat katha

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा – Padmini ekadashi vrat katha : अधिकमास में प्रथम पक्ष शुक्ल होता है और द्वितीय पक्ष कृष्ण होता है। अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पद्मिनी एकादशी है। पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा में मुख्य रूप से एकादशी व्रत का माहात्म्य तो बताया ही गया है साथ ही एकादशी व्रत की विधि भी बताई गयी है। इस कथा में कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्रार्जुन) के जन्म की भी कथा है।

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चैत्र शुक्ल कामदा एकादशी व्रत कथा - Kamada ekadashi vrat katha

कामदा एकादशी व्रत कथा – Kamada ekadashi vrat katha

कामदा एकादशी व्रत कथा – Kamada ekadashi vrat katha : कामदा एकादशी चैत्रमास के शुक्ल पक्ष में होती है।
यह एकादशी भी सभी प्रकार के पापों से मुक्त करती है।
विभिन्न प्रकार के श्राप, नजर आदि दोषों के निवारण हेतु कामदा एकादशी का व्रत करना चाहिए।

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