योगिनी एकादशी व्रत कथा - Yogini ekadashi vrat katha

योगिनी एकादशी व्रत कथा – Yogini ekadashi vrat katha

योगिनी एकादशी व्रत कथा – Yogini ekadashi vrat katha : योगिनी एकादशी की कथा में हेममाली नामक यक्ष की कथा है जो कुबेर का माली था। एक दिन कुबेर भगवान शिव की पूजा कर रहा था किन्तु यह पुष्प लेकर उपास्थित न हुआ जिसके कारण कुबेर ने इसे कुष्ठ और पत्नी वियोग का श्राप दे दिया। कालक्रम से योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से हेममाली शापमुक्त होता है।

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निर्जला एकादशी व्रत कथा - nirjala ekadashi vrat katha

निर्जला एकादशी व्रत कथा – Nirjala ekadashi vrat katha

निर्जला एकादशी व्रत कथा – Nirjala ekadashi vrat katha : ज्येष्ठ के शुक्लपक्ष की एकादशी का निर्जल उपवास करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मनुष्य स्वर्ग को प्राप्त करता है, जो वर्षपर्यंत एकादशी करने में अक्षम हो वह इस एक निर्जला एकादशी व्रत करने से भी सभी एकादशी का फल प्राप्त कर लेता है। इस व्रत से सभी तीर्थों और दानों का फल मिलता है।

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मोहिनी एकादशी व्रत कथा - Mohini ekadashi vrat katha

मोहिनी एकादशी व्रत कथा – Mohini ekadashi vrat katha

मोहिनी एकादशी व्रत कथा – Mohini ekadashi vrat katha : श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी का महत्व बताया, जिसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मोहिनी एकादशी का व्रत ऐसा है जो हर पाप का मिटा देता है। युधिष्टिर ने श्री कृष्ण से इसकी महिमा पूछी और उन्होंने राम और वशिष्ठ की कथा सुनाई। धृष्टबुद्धि जैसे पापी भी इस व्रत के प्रभाव से अपने पापों से छुटकारा पा सकते हैं तो सामान्य मनुष्यों की बात ही क्या है।

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वरुथिनी एकादशी व्रत कथा - Varuthini ekadashi vrat katha

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा – Varuthini ekadashi vrat katha

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा – Varuthini ekadashi vrat katha : वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम वरूथिनी एकादशी है। इस एकादशी की कथा में एकादशी व्रत की विशेष विधियों और नियमों का वर्णन किया गया है। यह एकादशी पुनर्जन्म के दुःख से मुक्ति प्रदान करती है। राजा मान्धाता, धुन्धुमार इसी व्रत के प्रभाव से स्वर्ग गये। भगवान शंकर भी इसी व्रत को करके ब्रह्मकपाल से मुक्त हुये।

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चैत्र शुक्ल कामदा एकादशी व्रत कथा - Kamada ekadashi vrat katha

कामदा एकादशी व्रत कथा – Kamada ekadashi vrat katha

कामदा एकादशी व्रत कथा – Kamada ekadashi vrat katha : कामदा एकादशी चैत्रमास के शुक्ल पक्ष में होती है।
यह एकादशी भी सभी प्रकार के पापों से मुक्त करती है।
विभिन्न प्रकार के श्राप, नजर आदि दोषों के निवारण हेतु कामदा एकादशी का व्रत करना चाहिए।

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चैत्र कृष्ण पापमोचनी एकादशी व्रत कथा - Papmochini ekadashi vrat katha

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा – Papmochani ekadashi vrat katha

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा – Papmochani ekadashi vrat katha : कथा के अनुसार कुबेर के चैत्ररथ वन में च्यवन मुनि का आश्रम था जहाँ उनके पुत्र मेधावी मुनि भी तपस्या करते थे। उस वन में विहार करने के लिए इंद्र भी आया करते थे। एक बार उनके साथ आयी अप्सरा मंजुघोषा मेधावी मुनि पर मोहित हो गयी और उन्हें आकर्षित करने का प्रयास करने लगी जिसमें कामदेव ने भी शंकर भगवान से वैर को याद करके उसका साथ दिया।

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आमलकी एकादशी व्रत कथा - Amalaki ekadashi vrat katha

आमलकी एकादशी व्रत कथा – Amalaki ekadashi vrat katha

आमलकी एकादशी व्रत कथा – Amalaki ekadashi vrat katha : एक व्याधे ने भगवान की पूजा, कथा होते देखा-सुना, आहाररहित रहते हुये रात्रिजागरण भी कर लिया जिसके फलस्वरूप अगले जन्म में वह भी राजा बना और एक बार जब म्लेच्छों से घिर गया था तब एकादशी देवी ने प्रकट होकर म्लेच्छों का नाश किया।

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पौषकृष्ण सफला एकादशी कथा - Safala ekadashi

सफला एकादशी व्रत कथा – Safala ekadashi vrat katha

सफला एकादशी व्रत कथा – Safala ekadashi vrat katha : पौष कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘सफला एकादशी’ है। इस दिन नारायण का पूजन करनी चाहिए और अच्छे ऋतु-फलों से भगवान का पूजन करना चाहिए; स्वच्छ नारियल, बिजौरे, जम्बीरी, अनार, सुपारी आदि से विधिपूर्वक पूजन करें। व्रत वाले दिन दीपदान करने और जागरण करने का भी विशेष महत्व है।

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फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी व्रत कथा - Amalaki ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha : मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा राजा वैखानस से संबंधित है जिसमें राजा वैखानस अपने पिता के नरक में कष्ट भोगते देख कर मोक्ष के उपाय ढूंढते हैं। उन्हें मुनि का आशीर्वाद मिलता है, जो मोक्षदा एकादशी करने का सुझाव देते हैं। राजा वैखानस ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया और भगवान विष्णु की उपासना की, जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को स्वर्ग में स्थान प्राप्त करते देखा।

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