कार्तिक माहात्म्य - एकविंशोऽध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 21

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 21 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 21 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में – विष्णु पार्षदों के वचन सुनकर धर्मदत्त ने कहा – सभी मनुष्य भक्तों का कष्ट दूर करने वाले श्रीविष्णु की विधिपूर्वक आराधना करते हैं। इनमें कौन-सा साधन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला है, यह जानने के लिए पार्षदों ने पूर्वजन्म की कथा सुनाने लगे। उन्होंने बताया कि कांचीपुरी में चोल नामक एक राजा हुए थे, जिनके शासन में कोई दरिद्र या दुःखी नहीं था।

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फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी व्रत कथा - Amalaki ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha : मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा राजा वैखानस से संबंधित है जिसमें राजा वैखानस अपने पिता के नरक में कष्ट भोगते देख कर मोक्ष के उपाय ढूंढते हैं। उन्हें मुनि का आशीर्वाद मिलता है, जो मोक्षदा एकादशी करने का सुझाव देते हैं। राजा वैखानस ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया और भगवान विष्णु की उपासना की, जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को स्वर्ग में स्थान प्राप्त करते देखा।

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मार्गकृष्ण उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा - utpanna ekadashi vrat katha in hindi

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा – utpanna ekadashi vrat katha

मार्गकृष्ण उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा – utpanna ekadashi vrat katha in hindi : हेमन्त ऋतु के मार्गशीर्ष माह में कृष्णपक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए। दशमी की शाम दातुन करें और रात को भोजन न करें। एकादशी को सुबह संकल्पपूर्वक कार्य करें और स्नान करें। स्नान के बाद चंदन का तिलक लगाएं। भगवान का पूजन करें और रात को दीपदान करें। रात्रि में जागरण करते हुए श्री हरि का नाम जप करें।

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देवोत्थान एकादशी व्रत कथा - Devotthana ekadashi vrat katha

देवोत्थान एकादशी व्रत कथा – Devotthana ekadashi vrat katha

देवोत्थान एकादशी व्रत कथा – Devotthana ekadashi vrat katha : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम देवोत्थान एकादशी है, प्रबोधिनी एकादशी भी एक अन्य नाम है। इस एकादशी को भगवान विष्णु का जागरण होता है। ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को इसकी कथा सुनाई है जिसका वर्णन स्कंदपुराण में है। इस कथा में एकादशी का माहात्म्य, तुलसी माहात्म्य, कार्तिक माह और चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा माहात्म्य आदि भी बताया गया है।

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कार्तिक माहात्म्य - चतुर्विंशोऽध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 24

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 24 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 24 – ब्रह्मा ने यज्ञ करने का निर्णय लिया था और उस वक्त त्वरा और गायत्री के बीच विवाद हुआ। यज्ञ के समय त्वरा ने गायत्री को अपनी जगह बैठाने पर शाप दिया, कि सब देवता नदियां बन जाएंगे और गायत्री ने त्वरा को भी नदी बनने का श्राप दे दिया। इस पर देवता परेशान हुए और उनकी अनुपस्थिति के कारण यज्ञ में विघ्न आ गया। अंत में, सब देवता अपने अंशों से नदियाँ बने, जिसमें कृष्णा और वेणी शामिल हैं।

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श्री राम नवमी व्रत कथा - ram navami vrat vidhi

श्री राम नवमी व्रत कथा – Ram Navami vrat katha

Ram Navami vrat katha : श्री रामनवमी व्रत से जितना पुण्य प्राप्त होता है उतना पुण्य कठिन तपस्या करने से भी प्राप्त नहीं होता। श्री रामनवमी व्रत से जितना पुण्य प्राप्त होता है उतना पुण्य पूरी पृथ्वी दान करने से भी नहीं होता।

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अनन्त व्रत कथा - Anant Vrat Katha

अनन्त व्रत कथा – Anant Vrat Katha 1 Chap.

अनन्त व्रत कथा : भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को अनंत व्रत – पूजा की जाती है और कथा श्रवण करके अनंत धारण किया जाता है। बात जब कथा श्रवण की आती है तो देववाणी अर्थात संस्कृत का विशेष महत्व व फल होता है।

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हरितालिका (तीज) कथा

हरितालिका (तीज) कथा

हरितालिका (तीज) कथा : पूजा का काल प्रदोषकाल ही होता है अतः प्रदोषकाल में ही पूजा करे। पवित्रीकरणादि करके सर्वप्रथम संकल्प करे। यदि चौदह वर्षों तक ही करना हो तो प्रथम वर्ष चौदह वर्ष करने का संकल्प करे, अन्य वर्षों में संकल्प करे। यदि 14 वर्ष से अधिक भी करना हो तो 14 वर्षों वाला संकल्प प्रथम वर्ष न करे।

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योगिनी एकादशी व्रत कथा - Yogini ekadashi vrat katha

योगिनी एकादशी व्रत कथा – Yogini ekadashi vrat katha

योगिनी एकादशी व्रत कथा – Yogini ekadashi vrat katha : योगिनी एकादशी की कथा में हेममाली नामक यक्ष की कथा है जो कुबेर का माली था। एक दिन कुबेर भगवान शिव की पूजा कर रहा था किन्तु यह पुष्प लेकर उपास्थित न हुआ जिसके कारण कुबेर ने इसे कुष्ठ और पत्नी वियोग का श्राप दे दिया। कालक्रम से योगिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से हेममाली शापमुक्त होता है।

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मोहिनी एकादशी व्रत कथा - Mohini ekadashi vrat katha

मोहिनी एकादशी व्रत कथा – Mohini ekadashi vrat katha

मोहिनी एकादशी व्रत कथा – Mohini ekadashi vrat katha : श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी का महत्व बताया, जिसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मोहिनी एकादशी का व्रत ऐसा है जो हर पाप का मिटा देता है। युधिष्टिर ने श्री कृष्ण से इसकी महिमा पूछी और उन्होंने राम और वशिष्ठ की कथा सुनाई। धृष्टबुद्धि जैसे पापी भी इस व्रत के प्रभाव से अपने पापों से छुटकारा पा सकते हैं तो सामान्य मनुष्यों की बात ही क्या है।

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