फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी व्रत कथा - Amalaki ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा – Mokshada ekadashi vrat katha : मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा राजा वैखानस से संबंधित है जिसमें राजा वैखानस अपने पिता के नरक में कष्ट भोगते देख कर मोक्ष के उपाय ढूंढते हैं। उन्हें मुनि का आशीर्वाद मिलता है, जो मोक्षदा एकादशी करने का सुझाव देते हैं। राजा वैखानस ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया और भगवान विष्णु की उपासना की, जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को स्वर्ग में स्थान प्राप्त करते देखा।

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कार्तिक माहात्म्य - विंशोऽध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 20

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 20 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 20 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में – हे द्विजश्रेष्ठ! तुम्हें साधुवाद है, क्योंकि तुम सदैव भगवान विष्णु के भजन में तत्पर रहते हो और दीनों पर दया करते हो। आपने जो कार्तिक व्रत का अनुष्ठान किया है, उसके आधे भाग का दान देने से आपको दूना पुण्य प्राप्त हुआ है और सैकड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो गये हैं। इसके (कलहा) भी सैकड़ों जन्म के पाप समाप्त हो गये हैं, और अब यह दिव्य विमान के साथ वैकुण्ठधाम में जायेगी।

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सिद्धिविनायक व्रत कथा - Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा – Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा में भरद्वाज मुनि सूत से पूछते हैं कि विघ्नों का निवारण कैसे होगा। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उत्तर में सिद्धिविनायक की पूजा व्रत करने को कहा गया, जिससे नष्टराज्य की पुनर्प्राप्ति हो सकती है। सिद्धिविनायक की पूजा से सभी कार्यों की सफलता होती है और चाहे विद्या हो या धन, विजय या सौभाग्य, सब इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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पौषशुक्ल पुत्रदा एकादशी कथा - Putrada Ekadashi

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा, श्रावण शुक्ल – Putrada ekadashi vrat katha in hindi

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा, श्रावण शुक्ल – Putrada ekadashi vrat katha in hindi : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर महिष्मति पुरी के राजा महीजित की कथा सुनाई जो अपुत्र थे। लोमश ऋषि के उपदेश से प्रजा सहित उन्होंने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जिससे उनको पुत्र की प्राप्ति हुयी और इसी कारण इस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है।

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कार्तिक माहात्म्य - पंचदशोऽध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 15

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 15 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 15 मूल संस्कृत में – वीरभद्र को भूमि पर गिरा देख शिवगणों में हाहाकार मच गया और वो वहां चले गये जहां भगवान शंकर थे। तब स्वयं भगवान शंकर युद्ध करने आये एवं जलंधर के साथ उनका युद्ध होने लगा, जब जलंधर को प्रतीत हुआ कि भगवान शिव अजेय हैं तो उसने माया का प्रयोग किया और सभी अचेत से हो गये

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कार्तिक माहात्म्य - त्रयोविंशोऽध्यायः, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 23

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 23 मूल संस्कृत में, अर्थ हिन्दी में

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 23 – इस कथा में भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय की उत्पत्ति और उनके चरित्र का वर्णन है। ये दोनों ब्रह्मन ऋषि कर्दम के पुत्र थे, जो भगवान विष्णु की अनंत भक्ति में लीन रहते थे। यज्ञ में भाग लेने के दौरान धन के वितरण में उनके बीच विवाद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने एक-दूसरे को शाप दिया। भगवान विष्णु ने उनके दिए गए शापों को भोगने के बाद उन्हें उद्धार कर वैकुण्ठधाम पहुँचाया।

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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा - Padmini ekadashi vrat katha

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा – Padmini ekadashi vrat katha

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा – Padmini ekadashi vrat katha : अधिकमास में प्रथम पक्ष शुक्ल होता है और द्वितीय पक्ष कृष्ण होता है। अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पद्मिनी एकादशी है। पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा में मुख्य रूप से एकादशी व्रत का माहात्म्य तो बताया ही गया है साथ ही एकादशी व्रत की विधि भी बताई गयी है। इस कथा में कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्रार्जुन) के जन्म की भी कथा है।

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कार्तिक माहात्म्य - पञ्चमोध्यायः

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 5

कार्तिक माहात्म्य अध्याय 5 : इसमें नित्यकर्म अर्थात शौच, शुद्धि आदि के विधान का उल्लेख करते हुये विष्णु-शिव आदि की पूजा करने, भजन-कीर्तन-नृत्य आदि का विधान बताया गया है। देवताओं के लिये वर्जित पुष्पों का भी इस आलेख में वर्णन किया गया है।

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